रविवार, 11 जुलाई 2010

घन गर्जन हुंकार लिखो

लेकर कलम हाथ में अपने घन गर्जन हुंकार लिखो ।
दुश्मन ने ललकार भरी है अब तो ना श्रृंगार लिखो ।
हिन्दुस्तान में रहने वाला पहले हिन्दुस्तानी है ,
फिर हिन्दू,मुस्लिम,ईसाई,जैन बौद्ध ,सरदार लिखो ।
अबतक हमको पाल पोष कर जिसने इतना बड़ा किया ,
उस धरती माता के गिन गिन कर सारे उपकार लिखो ।
मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारों को जो नेता नापाक करे ,
ऐसे व्यक्ति का लेखक गण स्थाई उपचार लिखो ।
चंद रुपये की खातिर अपनी माँ का सौदा करता जो ,
ऐसे नीच पतित पापी का जनम जनम धिक्कार लिखो ।
कारगिल.द्रास,बटालिक में,जिन वीरों ने कुर्बानी दी ,
उन अमर शहीदों की गाथाएँ यारो बारम्बार लिखो ।
निर्ममता से तीर्थ यात्रियों का जिसने भी है क़त्ल किया ,
इन हत्यारों की गर्दन पर झाँसी की तलवार लिखो ।
शब्दों में अंगारे भर दो भावों में इक बिजली सी ,
मुर्दे में भी जान आ जाये ऐसे कुछ किरदार लिखो ।
मानव का कल्याण लिए हो जो भी हम साहित्य लिखें ,
प्रगतिशील जनवादी या फिर इसको शब्दाकार लिखो .

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