गुरुवार, 15 जुलाई 2010

एक ही मिटटी से निर्मित ये भवन हैं

बाबरी मस्जिद हो या मंदिर तुम्हारा /

एक ही मिटटी से निर्मित ये भवन हैं ।/

इनमें रहने वालों में झगडा नहीं है /

झगडा करने वाले तो कुत्सित मन हैं ।

कहते हैं कुछ लोग अयोध्या राम की है /

एक अजन्मा पार ब्रह्म घनशयाम की है /

माना दोनों बातें एकदम सही हैं /

गीता में जिसके जनम की बात कही है /

ना ही वह जन्मता कभी /ना मृत्यु पाता/

फिर कहाँ से ये मनुष्य है जन्म गाता ।/
फिर भी माना वह कभी जन्मा यहाँ था /
क्या उस समय मंदिर मस्जिद का पता था /
फिर बताओ दोनों को किसने बनाया /
राम ने या अल्लाह ने खुद बनाया /
गर नहीं तो आदमी की ये कृति हैं ।
भाई चारे प्रेम की आकृति हैं /
उस खुदा या राम की बस याद में हैं /
कितने ही वर्षों से दोनों साथ में हैं /
इनके कण कण में है उसका ही वजूद /
ये बात भी अच्छी ताः सब जानते हैं खूब /
फिर तुम इतिहास का अस्तित्व मिटा कर /
सरयू के किनारे रक्त की नदियाँ बहा कर /
राम या अल्लाह को तुम खुश करोगे /
और मरकर मोक्ष की कल्पना करोगे /
काश तुममें राम का इक अंश होता /
और अल्लाह का भी कोई वंश होता /
इंसानियत कहते हैं किसको जान जाते /
राम अल्लाह एक हैं ये मान जाते /
हिन्दू मस्जिद को बनता /मंदिर बनता मुसलमां/
सदियों तलक देता गवाही ये नीला नीला आसमां.

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